Wednesday, June 2, 2010
भारतीय दर्शन के विद्वानों के प्रति नम्र निवेदन
विनम्र निवेदन है की हम चाहते हुए भीशायद शुद्ध श्लोक नहीं लिख पायें कारण यह है की अंतर्जाल की टंकण व्यवस्था हमें संस्कृत में पूर्णतया शुद्ध न लिख पाने को मजबूर करती हैतथापि हमारा प्रयास होगा की हम संस्कृत एवं हिदी में श्रीगीता की व्याख्या सरल शब्दों में कर पायें हिंदी भाषा संसार में बसे करोंड़ों लोगों तक अपनास्थान बना चुकी है ऐसे में विश्व के उन तमाम भगवद चरनानुरागियो तक शब्दों की अपनी सेवा दे पाए यही हमारा लक्ष्य है हम विद्वान् नहीं है ज्ञानी नहीं हैं अति बुद्धिमान नहीं है मात्र भगवद गीता की शरण में रह कर जो मन में आया या आगे भी जो आयेगा उसे संपूर्ण मानव मात्र के लिए सेवा करने का प्रयास करूंगा कृपया आप सभी से हमारा विनम्र अनुरोध है की आप सभी लोग हमारे ब्लॉग को पढ़ें एवं उस पर अपनी प्रतिक्रिया अवस्य दें
संपूर्ण संसार में श्रीमद्भागवद्गीता में श्रद्धा रखने वाले एवं विश्वास करने वाले सुधीजन हमारे विचार जान सकें श्री मद भगवद्गीता अनंतज्नान का भंडार लिए है जिसमें हजारों आचार्यों महापुरुषों विद्वानों साधू संतों सन्यासियों व दर्शिनिकों ने हर काल स्थान पात्रता एवं परिस्थित्ति के आधार पर भाष्य किये विचार प्रस्तुत किये एवं प्रवचन तथा सत्संग आदि में जन सामान्य का अत्यंत भला कियासनातन धर्म के पर्मचार्यों जैसे अदि शंकराचार्य रामानुजाचार्य वल्लाबहचार्य निम्बार्काचार्य आदि ने अपने अपने दर्शन एवं चिंतन से प्रस्थान त्रयी का भाष्य कियावेदांत मेंनिष्णात विद्वान् जानते हैं की प्रस्थान त्रयी का तात्पर्य श्रीमद्भागवद्गीता ब्रम्हासूत्र एवं उपनिखदों का सम्पूर्णता के साथ भाष्य मानव समाज को उपलब्ध करना होता है प्रतिष्ठा सम्पन्न आचार्य अपने अपने ढंग से उक्त ग्रंथों का अभिनव भाष्य करताहै तत्पश्चात विश्व मानव की मंगल कामना एवं लोक कल्याण के लिए लोकार्पण करता है
मैं न तो आचार्य हूँ न ही संत मैं एक आम आदमी हूँ एक बाल बच्चो दार एक भीड़ में खोया एवं नौकर पेशा आदमी मुझे उम्मीद है की श्री मद भगवद गीता पर लिखा जाने वाला यह ब्लॉग आपलोगों को अपने बीच के ही किसी साथी से बात चीत करने जैसा लगेगा जिस गीता शाश्त्र को भगवद पद आदि शंकराचार्य ब्रम्हानिष्ठ परकम हंस ने की हो उसे मेरे जैसा आम इन्सान कुछ लिखने का साहस करे तो यह उस परम पुरुस की ही कृपा मानिये
हमारी यह अर्चना महादेव को समर्पित है इदन्नमम
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The time spent to think on topic is 100 times more than writing. very well written looking forward for many like this
ReplyDeleteit is rather tough to under stand in hindi how ever icould under stand a bit the way u r going to deliver in swpiritual consciousness in the great gita it is noble my bro God bless you .
ReplyDeleteI adore Bhagvat Geeta a lot….
ReplyDeleteEvery time you read the Geeta, you find new dimension and a fresh message of life…
Really good to see someone making us revisit the Message of Life, as it surely gives me again a different dimension and message to look up to the life.
Thanx a ton to the new light shown by Shri Dwivediji.
it is very lovingly to go through this version of shri mad bhagavadgita .it may appear in this blog again and again mahesh bhadouria
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