Wednesday, July 7, 2010

shri madbhagvadgita pratham addhyay aage ...

द्रुपदो द्रौपदेयाश्च सर्वश : प्रथिवीपते I
सौभद्रश्च महाबाहु : शंखान्दध्मु : प्रथक प्रथक  II १८ 
अर्थ : श्रेष्ठ धनुष वाले काशिराज और महारथी शिखंडी एवं ध्रिस्त्द्युम्न  तथा राजा विराट और अजेय सात्यकी ,राजा द्रुपद और द्रौपदी के पाँचों पुत्र और बड़ी भुजा वाले सुभद्रा  पुत्र अभिमन्यु  इन सभी ने हे राजन  सब और से अलग अलग शंख  बजाये 
यह अर्थ श्लोक १७ और १८ दोनों का सम्मिलित रूप से है

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