Thursday, July 1, 2010

shrimad bhagvad gita pratham addhyay....aage.....

अस्माकं तू विशिष्टा ये  तान्निबोध  द्विजोत्तम  I
नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थ   तान ब्रवीम ते II ७
अर्थ हे ब्राम्हण श्रेष्ठ ! अपने पक्ष में भी जो प्रधान हैं उनको आप समझ लीजिए I आपकी जानकारी के लिए मेरी सेना के जो जो सेनापति हैं , उनको बतलाता हूँ I
व्याख्या :  पूर्व श्लोकों में दुर्योधन ने द्रोणाचार्य को पांडु पक्ष के योद्धाओं के विषय में अवगत कराया I  उन्हें भान कराया की पांडु पक्ष में एक से एक विकट योद्धा हैं I   साथ ही उसने उपर्युक्त श्लोक के माद्ध्यम से कौरौ  पक्ष के योद्धाओं एवं महा पराक्रमी तथा युद्ध में कौरुओं के पक्ष में प्राण देने वालेअथवा प्राण लेने वाले  वीरों का भी वर्णन किया क्योंकि यह आवश्यक था की कहीं आचार्य द्रोण यह न समझ ले की कौरौ सेना में योद्धाओं की कमी है  किसी राजा या राज पुत्र का उसके  सेना पति का मनोबल बढ़ाये रखना कूटनैतिक  दृष्टी   से नितांत आवश्यक होता है

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